क्या लिखेंगे वो जो कब के चुक गए हैं

क्या लिखेंगे वो जो कब के चुक गए हैं चन्द सुविधाओं के सम्मुख झुक गए हैं   दम्भ था जिनको कि हमसे रौशनी है वो सितारे बादलों में लुक गए हैं   आला अफ़सर गाँव में जब भी पधारे कुछ न कुछ करके नया कौतुक गए हैं   यात्रा आरम्भ होती है वहीं से हम … Continue reading क्या लिखेंगे वो जो कब के चुक गए हैं